PM का भाषण राम-राम से शुरू, जय सियाराम पर खत्म:35 मिनट में 114 बार राम नाम लिया, कहा- कुछ लोग कहते थे, मंदिर बना तो आग लग जाएगी
अयोध्या में सोमवार को श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य यजमान बने। दोपहर 12 बजे हल्की पीली धोती-कुर्ता पहने मंदिर आए। हाथ में थाल थी, जिसमें श्रीराम के लिए चांदी का छत्र था।
12.05 बजे गर्भगृह में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा शुरू हुई, जो करीब घंटेभर चला। इसमें प्रधानमंत्री शामिल रहे। उन्होंने भगवान की आरती कर चंवर डुलाया, फिर राम के चरणों में कमल रखकर परिक्रमा की और साष्टांग प्रणाम किया।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद मोदी मंदिर परिसर में मौजूद लोगों के सामने 11 दिन का व्रत तोड़ा। उसके बाद उन्होंने करीब 35 मिनट का भाषण दिया। इस दौरान 114 बार नाम का राम लिया।
मोदी के भाषण की अहम बातें:
- रामलला के प्राण प्रतिष्ठा पर
मोदी बोले- रामलला अब टेंट में नहीं, दिव्य मंदिर में रहेंगे। राम मंदिर के निर्माण के बाद से देशवासियों में नया उत्साह पैदा हो रहा था। आज हमें सदियों की धरोहर मिली है, श्रीराम का मंदिर मिला है। 22 जनवरी, 2024 का ये सूरज एक अद्भुत आभा लेकर आया है। ये कैलेंडर पर लिखी एक तारीख नहीं, बल्कि ये एक नए कालचक्र का उद्गम है। लोग इसे हजारों साल याद करेंगे। - देश के माहौल पर
PM ने कहा- आज गांव-गांव में एक साथ कीर्तन, संकीर्तन हो रहे हैं। आज शाम घर-घर राम ज्योति प्रज्वलित करने की तैयारी है। PM ने कहा- अपने 11 दिन के व्रत-अनुष्ठान के दौरान मैंने उन स्थानों का चरणस्पर्श करने का प्रयास किया, जहां प्रभु राम के चरण पड़े थे। मेरा सौभाग्य है कि इसी पुनीत पवित्र भाव के साथ मुझे सागर से सरयू तक की यात्रा का अवसर मिला। - सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर
PM ने कहा- मैं प्रभु राम से क्षमा याचना करता हूं। हमारे त्याग, तपस्या, पूजा में कोई तो कमी रह गई होगी कि इतने साल मंदिर निर्माण का काम नहीं हो पाया। आज ये कमी पूरी हुई। भारत के संविधान की पहली प्रति में राम विराजमान हैं। दशकों तक प्रभु राम के अस्तित्व पर कानूनी लड़ाई चली। मैं न्यायपालिका का शुक्रगुजार हूं कि उसने लाज रख ली। - राम को लेकर विवाद पर
प्रधानमंत्री ने कहा- कई राष्ट्र अपने ही इतिहास में उलझ जाते हैं। जब भी उन्होंने इतिहास की गांठें सुलझाने का प्रयास किया मुश्किल परिस्थितियां बन गईं। हमने जिस गांठ को भावुकता और समझदारी के साथ खोला है, वो बताता है कि भविष्य बहुत सुंदर होने जा रहा है। कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। राम मंदिर किसी आग को नहीं, ऊर्जा को जन्म दे रहा है। राम आग नहीं, ऊर्जा हैं। राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं। राम सिर्फ हमारे नहीं, सबके हैं। राम वर्तमान नहीं, अनंत काल हैं। ये मंदिर महज देव मंदिर नहीं, भारत की दृष्टि-दर्शन का मंदिर है। राम भारत का विचार-विधान है। राम भारत का चिंतन, चेतना, प्रवाह, प्रभाव, नेति, निरंतरता है। राम विश्व हैं, विश्वात्मा हैं। इसलिए जब राम की स्थापना होती है तो उसका प्रभाव हजारों वर्षों के लिए होता है।
- कारसेवकों और संतों पर
प्रधानमंत्री ने कहा- ऋषियों ने कहा है कि जिसमें रम जाएं, उसी में राम है। हर युग में लोगों ने राम को जिया है। हर युग में लोगों ने अपने-अपने शब्दों, अपनी-अपनी तरह राम को व्यक्त किया है। ये राम रस निरंतर बहता रहता है। आज के इस ऐतिहासिक समय में देश उन व्यक्तित्वों को भी याद कर रहा है, जिनकी वजह से शुभ दिन देख रहे हैं। हम कारसेवकों, संत-महात्माओं के ऋणी हैं। - देश के विजन पर
प्रधानमंत्री ने कहा- युवाशक्ति चांद पर तिरंगा फहरा रही है तो 15 लाख किमी दूर अंतरिक्ष में यान पहुंचा रही है। आने वाला समय अब सफलता का है। आने वाला समय सिद्धि का है। ये राम मंदिर भारत के उत्कर्ष-उदय का साक्षी बनेगा। मंदिर सिखाता है कि लक्ष्य प्रमाणित हो तो उसे हासिल किया जा सकता है। शताब्दियों की प्रतीक्षा के बाद हम यहां पहुंचे हैं। अब हम रुकेंगे नहीं।